यहाँ हमलोग ‘अनादर का पर्यायवाची शब्द’ [ anadar ka paryayvachi shabd ] विषय को पढ़ेंगे। इस शब्द के अर्थ को विस्तार से समझेंगे तथा कुछ पर्यायवाची शब्दों पर चर्चा होगी। उसके बाद अनादर शब्द से सम्बंधित बातों के बारे में भी कुछ बताया जायेगा।
इसी तरह एक-एक शब्द को समझ कर शब्द-ज्ञान को बढ़ाया जाता है। नए शब्दों को जानना, ढूँढ़ना तथा हमेशा उनका प्रयोग करते हुए उन्हें अपनी नियमित शब्दावली में शामिल कर लेना अच्छी आदत है।
अनादर का पर्यायवाची शब्द [ Anadar ka Paryayvachi Shabd ]
Sl_No | अनादर का पर्यायवाची शब्द | Anadar ka Paryayvachi Shabd |
1 | अपमान |
2 | बेइज़्ज़ती |
3 | तिरस्कार |
4 | ज़िल्लत |
5 | अवमानना |
6 | तौहीन |
7 | पानी उतरना (मुहावरा) |
8 | नाक कटना (मुहावरा) |
अनादर शब्द का विस्तृत अर्थ
किसी का अनादर तब होता है जब उसके सम्मान में कोई कमी आ जाये या की जाए। आदर का विलोम शब्द अनादर है। इसी तरह सम्मान का विपरीत शब्द अपमान है जिसका अर्थ इज़्ज़त या मान में ह्रास ही है।
इस वाक्य को देखिये:
अतिथि के घर पहुँचने पर उसका घोर अनादर किया गया।
इस वाक्य से यह मालूम होता है कि अतिथि को बहुत अधिक अपमान सहना पड़ा। या उसे जिस तरह के व्यवहार की उम्मीद थी उससे काफी निम्न स्तर का व्यवहार उसके साथ किया गया.
अनादर और इसके पर्यायवाची शब्द से वाक्य बनायें
अनादर– किसी का अनादर कर के कोई सुख नहीं मिलता।
अपमान – भरी सभा में उसका अपमान करना एक राजनीतिक चाल थी।
बेइज़्ज़ती – बात छोटी थी मगर अंजन को बेइज़्ज़ती सी महसूस हुई।
तिरस्कार – एक अच्छे काम के लिए भी उसे लोगों के तिरस्कार के अलावा कुछ भी नहीं मिला।
ज़िल्लत – क्या ऐसी ज़िल्लत भरी ज़िन्दगी के लिए ही उसने एक-एक पैसे जोड़े थे?
अवमानना – याद रखना, अदालत की अवमानना के लिए तुम्हे कठोर दंड मिल सकता है।
तौहीन – उम्र और तकाज़े में बड़े होने पर भी उसे ताज न मिलना उसकी तौहीन थी।
पानी उतरना – भले बेटे की करतूत से सबके सामने उनका पानी उतर गया, मगर राधिका बाबू को अब भी अपने बेटे पर पूरा भरोसा था।
नाक कटना – उस घटना से रिश्तेदारी में उनकी नाक कट गयी।
अनादर के अंग्रेजी शब्द
- Insult
- Disrespect
- Contempt
- Disregard
इन शब्दों के पर्यायवाची पढ़ें [ Paryayvachi Shabd Test in the Last Cell ]
‘अपमान’ शब्द से सम्बंधित नारद मोह की कथा
एक बार नारद मुनि को अहंकार हो गया. अतः भगवान विष्णु जी ने इसके समाधान हेतु एक लीला रची।
उन्होंने एक माया नगरी निर्मित कर वहां की राजकुमारी विश्वमोहिनी के स्वयंवर की लीला रची। नारद जी उस कन्या को देख कर मंत्रमुग्ध हो गए।
उन्होंने विष्णु जी से प्रार्थना की कि वे उन्हें हरि-रूप दे दें। उनका अभिप्राय यह था कि विष्णु जी उन्हें अपना रूप प्रदान करें।विष्णु जी ने उन्हें हरि-रूप दे दिया, अर्थात उनका चेहरा एक वानर के रूप में बदल दिया क्योंकि हरि वानर को भी कहा जाता है।
उनका रूप देख कर विश्व सुंदरी ने स्वयंवर में उनका उपहास किया. जब नारद जी ने जल में अपना प्रतिबिम्ब देखा तो वो क्रोधित हो उठे।
कुपित नारद जी ने प्रभु को अभिशाप देते हुए कहा, ” मुझे आप ने एक स्त्री द्वारा तिरस्कृत करवाया है। मैं आप को श्राप देता हूँ कि आप भी स्त्री-वियोग में दुखी होंगें और आप ने मुझे वानर बना दिया है तो आप कालान्तर में वानरों का सहयोग लिए बिना अपने कार्य सिद्ध नहीं कर पायेंगें। ”
पर प्रभु ने धीरज रखा और माया का सारा अस्तित्व हटा दिया। सब कुछ सामान्य स्थिति में आने के बाद, नारद जी को पता चल गया कि यह सब प्रभु की माया थी। वो प्रभु से बारम्बार क्षमा मांगने लगे।
भगवान विष्णु ने नारद जी से कहा, “आप मेरे अनन्य भक्त हैं। आप के मन में आये अहंकार का उन्मूलन किये बिना मैं कैसे रह सकता था?”
प्रभु द्वारा पढ़ाया गया यह पाठ, कि क्रोध की अवस्था में हम जो भी कार्य करते हैं वह गलत हो जाता है, सर्वदा याद रखने योग्य है।
नारद जी का अहंकार समाप्त हो चुका था।
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