आज यहाँ हम मेहरबानी के पर्यायवाची शब्द [ Mehebani ka paryayvachi shabd ] या समानार्थी शब्दों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
पर्यायवाची या समानार्थी वे शब्द होते हैं जिनका अर्थ मूल शब्द के समान ही होता है। समानार्थी शब्दों का उपयोग भी मूल शब्दों की जगह किया जा सकता है।
‘मेहरबानी’ शब्द का अर्थ
मेहरबानी का पर्यायवाची शब्द जानने से पहले हम उसके अर्थ पर गौर करेंगे। उदाहरण स्वरूप निम्नलिखित वाक्यों को देखिए:
- आपकी बड़ी मेहरबानी है कि आपने हमें कमरा भाड़ा पर दिला दिया।
- उनकी इस मेहरबानी को हम कभी नहीं भूल पाएंगे।
- हे ईश्वर, सब कुछ आपका ही दिया हुआ है, आप ही कीअनुकंपा है।
इन वाक्यों से पता चलता है कि ‘मेहरबानी’ शब्द को हम दया या कृपा के अर्थ में प्रयोग करते हैं। इसी तरह के कुछ वाक्य-प्रयोग कर के आप मेहरबानी के समानार्थी शब्द निकाल सकते हैं।
मेहरबानी के पर्यायवाची शब्द [ ‘Meherbani’ ka Paryayvachi ]
- दया
- कृपा
- अहसान
- अनुग्रह
- कृतज्ञता
- उपकार
- अनुकम्पा
- उदारता
मेहरबानी के समानार्थी शब्दों से वाक्य रचना
दया – दया की विशेषता यह है कि वह शत्रुता को भुला देती है।
कृपा– प्रधानाध्यापक महोदय की कृपा से मैंने च्छी शिक्षा प्राप्त की।
अहसान – अपना काम अपने से करने पर किसी का अहसान लेना नहीं पड़ता।
अनुग्रह – एक महान व्यक्ति के अनुग्रह से उनका जीवन सँवर गया।
कृतज्ञता – प्रकृति ने हमें जो कुछ दिया है उसके लिए हमें कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए।
उपकार – किसी का उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए।
अनुकम्पा – ईश्वर की असीम अनुकंपा है कि आज वो महानुभाव हमारे बीच हैं।
उदारता – राजा भोज की उदारता के किस्से मशहूर हैं।
इसे हल करें
नीचे दी गयी लघु कथा को पढ़िए तथा उसमें से चुनकर ‘मेहरबानी’ शब्द के नजदीकी शब्दों की एक सूची बनाइए।
डॉक्टर साहब की सलाह
सुलभ को बात पच नहीं रही थी। डॉक्टर ने उसे उल्टी सलाह क्यों दी? सुलभ ने तो हमेशा बड़े-बुजुर्गों से यही सुना था कि मां-बाप की सेवा करनी चाहिए। वह करता भी यही था। वह बिल्कुल नहीं चाहता था कि उसके बूढ़े मां-बाप किसी की दया या अनुकम्पा पर निर्भर रहें। सुबह से लेकर शाम तक बूढ़े मां-बाप की दवाइयां, उनका खाना-पीना, बाग़ में सैर और हर ज़रूरी बात का वह ध्यान रखता था।
पर डॉक्टर ने यह क्यों कहा की मां-बाप की बहुत ज्यादा मदद मत करो? वह चिंता में पड़ गया। क्या उसे सही डॉक्टर नहीं मिला है? डॉक्टर का इशारा क्या था?
बेटे को चिंतित देखकर बाप ने उसे बुलाया और पूछा, “क्या बात है बेटा? क्यों उदास दिखाई दे रहे हो? कोई परेशानी है?”
सुलभ ने झिझकते हुए पिताजी को अपने दिल की बात सुना डाली। बूढ़े बाप ने सब कुछ ध्यान से सुना। वह डॉक्टर के कहने का मर्म भी समझ गया।
उसने बेटे को समझाया, “देखो हमारा शरीर इस तरह से बना है कि तुम उसे ज्यादा आराम दोगे तो वह उसका आदी हो जाएगा और मेहनत करोगे तो उसे मेहनत की आदत पड़ जाएगी। “
इसलिए डॉक्टर साहब ने कहा कि हर छोटे-बड़े काम में मां-बाप का हाथ मत बटाओं, उन्हें भी कुछ करने दो। बेटा, डॉक्टर साहब की सलाह बहुत ही अच्छी है। अगर छोटे-मोटे काम हम अपने हाथ-पैर से करेंगे तो हमारी देह तंदुरुस्त रहेगी। इसके साथ-साथ अपना काम खुद करने की आदत भी डालनी चाहिए, इससे किसी का एहसान लेना नहीं पड़ता है। “
बेटे को बात अच्छी तरह से समझ में आ गई।
भीतर के कमरे से माँ ने कहा, “बेटा, एक गिलास पानी देना। बेटे ने कहा, ” माँ, टेबल पर जग और गिलास रखे हुए हैं। वहाँ से ले लो ना …”
इसके बाद बेटे ने बाप की और देखा। बाप मुस्कुरा दिया। बेटा समझ गया कि अब उसके माँ-बाप को छोटे-मोटे कामों के लिए किसी की रहम पर नहीं रहना होगा। उसने मन ही मन डॉक्टर के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की।
उत्तर
दया, अनुकम्पा, एहसान, रहम, कृतज्ञता
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